Unix Operating System क्या है?

Unix Operating System kya hai

यूनिक्स (Unix) आपरेटिंग सिस्टम के परिवार का एक सदस्य है, जिसकी विकास बेल्ल लेबोरेटोरिज़ (Bell Laboratories) से शुरू हुई।

कम्प्यूटर की आरंभिक पीढ़ियों में हर कम्प्यूटर के लिए एक विशिष्ट तरह के आपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग होता था। मानकीकरण के अभाव में एक कम्प्यूटर परिवेश में लिखे हुए प्रोग्रामों सॉफ्टवेयर का प्रयोग दूसरे कम्प्यूटर के परिवेश में नहीं हो पाता था।

इसी समस्या के समाधान की परिणति के रूप में मानकीकरण का विकास हुआ और साथ-साथ यूनियस (Unix) का भी विकास हुआ।

Unix Operating System क्या है?

यूनिक्स Operating System एक Operating System है। इसे हम लोग अपने कंप्यूटर में एक ऑपरेटिंग सिस्टम की तरह यूज करते हैं जो हमारे कंप्यूटर को ऑपरेट करता है।

Unix Operating System kya hai

यह Closed source operating system है। और यह सिर्फ paid version में ही market में available है।

यानि अगर आपको Unix OS अपने computer में इस्तेमाल करना है। तो आपको इसे मार्केट से या फिर Online खरीदना होगा।

Unix Operating System को first 1960s, में “Dennis Ritchie” द्वारा developed किया गया था।Unix को मल्टी-यूज़र के लिए, मल्टी-टास्किंग सिस्टम Design किया गया है।

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Unix Operating System का इतिहास

सन 1969 में कैन थॉमसन (Ken Thompson) और ब्रायन केरनीधन (Brian Kemighan) ने इस बात को महसूस किया कि उन्हें अपनी GE 645 मन फ्रेम (Main Frame) मशीन जो कि मल्टीकस आपरेटिंग सिस्टम से चलती थी।

पर अपने ‘स्पेस ट्रेवल’ प्रोग्राम पर काम करने में मुश्किल हो रही है। इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने PDP 7 मशीन का प्रयोग शुरू किया

और अपने सॉफ्टवेयर को चलाने (Run) के लिए कुछ यूटिलिटी (Utility) लिखी। इन सब चीजों के मिलने से एक आपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ,

जिसे PDP 7 असेम्बलर कम्प्यूटर भाषा का प्रयोग करके बनाया गया था। इस आपरेटिंग सिस्टम का और विकास किया गया जिससे यह PDP11/34/40/45/60 पर उपयोग किए जा सकने योग्य हो गया।

सन 1978 में इस प्रोग्राम को असेम्बली भाषा की जगह उच्च स्तरीय भाषा (High Level Languages) ‘C’ में लिखा गया। इस आपरेटिंग सिस्टम का विकास डेनिस रिची (Dennis Ritchie) ने किया था। अब यूनिक्स (Unix) का 95% भाग ‘C’ में लिखा गया था।

जिससे यह कम्प्यूटर परिवार के विभिन्न सदस्यों पर प्रयोग किए जाने के योग्य होगा जैसे पसल कम्प्यूटर से मेन फ्रेम कम्प्यूट तक इस सुविधा से फायदा यह हुआ कि डाटा तथा प्रोशम कम्प्यूटर परिवार के एक सदस्य से दूसरे सदस्य पर आसानी से स्थानांतरित किए जा सके।

जिससे कार्य का दोहरापन खत्म हो गया। अपने में यूनिक्स (Unix) का अधिकतर प्रयोग विश्वविद्यालया तथा महाविद्यालयों में किया जाता था।

लेकिन सन 1980 के बाद इसका प्रयोग व्यावसायिक उपक्रमों में भी तेजी से बढ़ा यूनिक्स (Unix) में व्यावसायिक उपक्रमों की आवश्यकता के अनुसार उत्तरोत्तर सुधार किया गया और इसके फलस्वरूप Unix में उपलब्ध सुविधाओं की संख्या लगातार बढ़ती गई।

Unix Operating System की विशेषताएं

दोस्तों आपको बता दें कि यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम की निम्नलिखित विशेषताएं हैं जो कि कुछ इस प्रकार हैं :-

  • (1) पोर्टेबिलिटी (Portability): यूनिक्स कम्प्यूटर परिवार के विभिन्न सदस्यों के लिए उपलब्ध है। अतः प्रयोगकर्ता एक ही तरह के कम्प्यूटर हार्डवेयर का प्रयोग करने के लिए बचे हुए नहीं हैं तथा वह विभिन्न कंपनियों द्वारा बनाए गए हार्डवेयर सिस्टमों को अपनी आवश्यकता के अनुसार खरीद सकते हैं। वह विभिन्न प्रकार के कम्प्यूटर जैसे–पर्सनल कम्प्यूटरों से मेन फ्रेम कम्प्यूटरों तक खरीद सकते हैं तथा उनमें आपस में संबंध स्थापित कर डाटा का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
  • (2) बहुत प्रयोगकर्ता ऑपरेशन (Multiuser Operation) :- यूनियस के द्वारा एक ही समय में अनेक व्यक्ति विभिन्न प्रकार के कार्य कर सकते हैं। विभिन्न प्रयोगकर्ता एक की-बोर्ड तथा एक पी. डी. यू. (VDU) जिसे टर्मिनल (Terminal) कहते हैं, जो कि RS232 पोर्ट द्वारा मुख्य कम्प्यूटर जिसे सर्वर (Server) कहते हैं; से जुड़े होते हैं। टर्मिनल (Terminal) डम्ब टर्मिनल (Dumb Terminal) हो सकते हैं। जिनमें कोई प्रोसेसिंग क्षमता नहीं होती है अर्थात उनमें कोई मेमोरी (Memory) तथा CPU नहीं होता है तथा वह सर्वर (Server) में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हैं। टर्मिनल (Terminal), इंटेलिजेंट टर्मिनल (Intellegent Terminal) भी हो सकते हैं अर्थात् उनमें लोकल प्रोसेसिंग (Local Processing) के लिए CPU तथा कुछ मेमोरी (Memory) हो सकती है। लेकिन इंटेलिजेंट टर्मिनल भी अपनी अधिकतर प्रोसेसिंग मुख्य रबर पर ही करते हैं।
  • (3) बैंक ग्राऊंड प्रोसेसिंग (Background Processing):- यूनिक्स पर एक ही समय में प्रत्यक्ष तथा पृष्ठभूमि प्रक्रिया (Back ground Processing) से कार्य को निष्पादन किया जा सकता है। इस सुविधा के प्रयोग से प्रयोगकर्ता कम-से-कम में अधिक-से-अधिक कार्य कर सकता है जैसे प्रत्यक्ष रूप में डाटा बेस में डाटा को भरा जा सकता है तथा प्रयोगकर्ता अपने इस डाटा एंटी के कार्य को रोके बगैर साथ-साथ कुछ फाइलों को पृष्ठभूमि (Background) रूप में प्रिंट कर सकता है।
  • (4) ठाईरायकल फाईल सिस्टम (Hierarchical File System):- यूनिक्स (Unix) में फाइलों को Hierarchical ढंग से रखा जाता है। इस सुविधा के उपयोग से फाइलों को इच्छित रूप से डायरेक्टरियों में एकत्रित किया जा सकता है। पूनिक्स पहला आपरेटिंग सिस्टम या जिसमें फाइलों को डायरेक्टरी के अंदर संग्रहित किया गया। यूनिक्स में एक ही नाम की फाईल दो डायरेक्टरियों के अंदर हो सकती है पर हम यह ध्यान रखना चाहिए कि एक नाम की दो फाईल एक डायरेक्टरों के अंदर नहीं हो सकती
  • (5) यूनिक्स शैल (Unix Shell):- यूनिक्स शैल को आप अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कस्टमाइज (Customised) करके उसकी क्षमताओं का विकास कर सकते हैं। यूनिक्स में विभिन्न प्रकार के शैल उपलब्ध हैं जिनमें उपलब्ध सुविधाएं भी अलग-अलग है। हम शैल स्क्रिप्ट (Shell script) जो कि यूनिक्स (Unix) के शैल को कस्टमाइज्ड (Customised) करने के लिए लिखे जाने वाले प्रोग्राम हैं लिखकर यूनिक्स के निर्देशों की कठिनता को समाप्त कर सकते हैं।
  • (6) यूनिक्स के बहुत सारे निर्देशों तथा यूटिलिटी (Utility’s) को एक साथ के चलाकर कठिन कार्यों को निष्पादन किया जा सकता है। इसके लिए हम यूनिक्स के एकाधिक निर्देशों को पाईप निर्देश (1) द्वारा जोड़कर एक साथ चला (Run) सकते हैं।
  • (7) टूल की उपलब्धता (Availability):- यूनिक्स में हजारों की संख्या में टूल्स उपलब्ध हैं। इसके कारण प्रयोगकर्ता अपने इच्छित कार्यों को आसानी से अपनी पसंद के टूल्स (Tools) का प्रयोग करके कर सकता है।
  • (8) बहुकार्य संपादन क्षमता (Multitasking Capabilities):- यूनिक्स में बहकार्य संपादन क्षमता (Multitasking Capabilities) उपलब्ध है। इस सुविधा के प्रयोग से हम एक समय में एक पर एक से अधिक लोगिन (Login) कर सकते हैं तथा विभिन्न विंडोज में एकाधिक कार्य कर सकते हैं।

Unix Operating System की संरचना

यूनिफ्स को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है

  • (1) Kernel:- यूनिक्स (Unix) का अंदरूनी भाग करनाल (Kernel) कहलाता है। यहाँ भाग निम्न स्थलीय फंक्शन (Low Level Function) का निष्पादन करता है। जैसे CPU की शिड्यूलिंग (Scheduling), मेमोरी (Memory) का विभिन्न प्रयोगकर्ताओं के बीच बंटवारा, यूनिक्स की सुरक्षा योजना का निष्पादन तथा कम्प्यूटर के संग्रह संसाधनों का निर्देशन करना। जैसा कि हमें ज्ञात है कि यूनिक्स सिस्टम एक बहु-प्रयोगकर्ता आपरेटिंग सिस्टम Multiuser Operating System) है तथा इसमें बहुकार्य संपादन क्षमता (Multitasking capabilities) है। इसका तात्पर्य यह है कि अनेक प्रयोगकर्ता एक ही समय में विभिन्न टर्मिनलों (Terminals) को सहायता से सिस्टम (System) पर कार्य कर सकते हैं तथा प्रत्येक प्रयोगकर्ता आवश्यकता पड़ने पर अनेक कार्यों को एक साथ कर सकता है। सामान्यतः कई बार अनेक व्यक्ति अनेक कार्य को कर रहे होते हैं। करनत उन सब कार्यों की सूची रखता है और उस कार्य के पूरा होने पर उस प्रक्रिया (Process) को अपनी सूची से हटा देता है। करनल (Kernel) कार्य की आवश्यकता के अनुसार संसाधनों का आवंटन विभिन्न कार्यों को करता है तथा किसी कार्य के समाप्त होने के फलस्वरूप उपलब्ध संसाधनों का आवंटन किसी नए कार्यों को या चलते हुए कार्यों को करता है।
  • (2) शेल (Shell):- यूनिक्स का बाहरी भाग जो कि प्रयोगकर्ता यूनिक्स (Unix) करनल (Kernel) के साथ संवाद करने के लिए उपयोग करता है शैल (Shell) कहलाता है। दूसरे शब्दों में इन्टर(Command Inter preter) के रूप में कार्य करता है। प्रयोगकर्ता जो निर्देश टाईप करता है यह द्वारा करनल को उसके द्वारा समझने योग्य भाषा में करने के लिए दिया जाता है तथा अगर उसका कोई आउट (Output) होता है तो यह प्रयोग की आवश्यकतानुसार शैल द्वारा करनाल से लेकर दिखाया जाता है यूनिक्स में विभिन्न प्रकार के शैल उपलब्ध है Bourne shell, C Shell Korn Shell.
  • (3) फाईल सिस्टम (File System):- यूनिक्स (Unix) में फाईल Hierarchical तरीके से सुरक्षित की जाती है इसका अर्थ है कि सभी फाईल किसी-न-किसी के अंदर सुरक्षित की जाती है। यूनियन (Unix) में एक फाईल सिस्टम कुछ इस तरह से नजर आता है।

फाइलों तथा डायरेक्टरियों की यह संरचना ट्री स्ट्रक्चर (Tree Structure) कहलाती है।

जैसा कि हम अध्ययन कर चुके हैं कि किसी भी डायरेक्टरी के अंदर एक ही नाम की दो फाइलें नहीं हो सकती हैं पर विभिन्न डायरेक्टरियों में एक नाम की एक से अधिक फाइनें हो सकती हैं।

सबसे पहले डायरेक्टरी रूट (Root) डायरेक्टरी कहलाती है जिसे दिए गए चित्र ‘/’ द्वारा दिखाया गया है। यह मुख्य डायरेक्टरी होती है जिसके अंदर अन्य सभी डायरेक्टरियां बनाई जाती है या फाइलों को सुरक्षित किया जा सकता है। उदाहरणतः दिए गए चित्र में रूट (Root) डायरेक्टरी के अंदर कई अन्य डायरेक्टरिया बनाई गई है। इनके अंदर जरूरत पड़ने पर हम विभिन्न डायरेक्टर बना सकते हैं तथा यह अंतहीन हो सकता है।

अगर हम किसी फाईल के साथ कार्य करना चाहते है तथा अगर वह वर्तमान डायरेक्टरी में उपत्तप्प नहीं है तो हमें उस फाईत का पूरा पाथ (Path) देना होगा, तभी हम उस फाईल का उपयोग कर पाएंगे।

उदाहरण–दिए गए चित्र में अगर हम मोहन डायरेक्टरी के अंदर राकेश फाईल का प्रयोग करना चाहे तो हम उसे इस प्रकार लिखेंगे
USR/BAJRANG/RAKESH

यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार (Version of Unix)

यूनिक्स की प्रसिद्धि बढ़ने के साथ ही इसके विभिन्न प्रकार बाजार में उपलब्ध हो गए। इन्न प्रकारों (Version) को हम चार मुख्य प्रकारों में बांट सकते हैं।

(1) AT & T Versions

AT&T ने यूनिक्स सिस्टम के कई प्रकारों का विकास किया है। इनमें मे कुछ ती सामान्य यूनिक्स सिस्टम के विकास की प्रक्रिया में सामने आए तथा कुछ का विकास किसी खास Application के लिए प्रयोग करने के लिए किया गया जिसमें उस एपलिकेशन से संबंधित विशेष निर्देश उपलब्ध थे। AT & T के द्वारा विकसित विभिन्न प्रकार (Version) निम्नलिखित हैं-

AT & T Versions

VersionYear releasedComments
Version 61975सिर्फ विश्वविद्यालयों द्वारा प्रयोग की जाती थी।
Version 71978कुछ व्यवसायिक उपक्रमों में इसका प्रयोग शुरू हुआ पर मुख्यतः विश्वविद्यालयों में उपयोग होती रही।
System III1981व्यावसायिक उपक्रमों में प्रयोग के लिए इस प्रकार का विकास हुआ।
System V1983सिस्टम 3 में उपलब्ध सुविधाओं में
Release 1भारी विकास हुआ ताकि यह उपक्रमों में आसानी से उपयोग को जा सके
System V Release 21984सिस्टम 5, रीतिज1 में उपलब्ध सुविधाओं का काफी विकास हुआ।

1989 के बाद AT & T ने सिस्टम 5 में जो भी विकास तथा परिवर्तन किए वह इस बात को ध्यान में रखकर किए कि उनका प्रयोग व्यवसाि उपक्रमों में बढ़े।

(2) BSD Unix

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (University of California) जो कि Barkeley में स्थित है, 1970 में यूनिक्स संबंधी विकास का गढ़ बन चुका था और उन्होंने अपना ही एक यूनिक्स का प्रकार का विकास कर लिया था

जिसे Barkele Unix कहा गया इसे 4.1 BSD 4.2. BSD वा 43 BSD भी कहा गया। इस प्रकार का प्रयोग ज्यादातर शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा इंजीनियरिंग एप्लीकेशनों के लिए किया गया AT & T सिस्टम V में Barkeley Unix में उपलब्ध अधिकतर सुविधाओं का समावेश किया गया है।

(3) Unix Derivatives

AT & T द्वारा दिए गए सोर्स कोर्ड का विकास करके या उसे बदलकर कई कंपनियों ने अपने लिए यूनियस को बनाया जो भी परिवर्तन किए गए वह या तो एक खास कंपनी के हार्डवयर में उपलब्ध सुविधाओं को ध्यान में रखकर किए गए या एक खास प्लेटफार्म के लिए किए गए। जैसे जेनिक्स माइक्रोसॉफ्ट द्वारा यूनिप्लस यूनिसॉफ्ट द्वारा, ओसेक्स पिरामिड द्वारा

(4) Unix look alikes

कुछ कंपनियों द्वारा यूनिक्स आपरेटिंग सिस्टम जैसे सॉफ्टवेयर बिल्कुल शुरू से बनाए गए जैसे-Cromix, Cromemco कंपनी द्वारा तथा Unos, Charles river डाटा सिस्टम द्वारा

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बहु-उपयोगकर्ता सिस्टम में प्रयुक्त हार्डवेयर

एवं बहु-प्रयोगकर्ता प्रणाली के हायर अवयव एक समान होते हैं पर इन प्रणालियों में निम्नलिखित भिन्नताएं पाई जाती है।

  • (1) बहुप्रयोगकर्ता के कम्प्यूटर का सी. पी. पू. (C.P.U.) अधिक शक्तिशाली होता है तथा इसमें एक साथ कई कार्य एवं प्रोग्रामों के संचालन की सक्षमता होती है।

बहुउपयोगकर्ता प्रणाली को ये दो मुख्य विशेषताएं हैं:

  • बहु कार्य संपादन क्षमता (मल्टीयस्किंग)
  • बहुप्रोग्राम संपादन क्षमता (मल्टी प्रोग्रामिंग)
  • (2) बहुप्रयोगकर्ता प्रणाली के कम्प्यूटर में हार्ड डिस्क की क्षमता अधिक होती है।
  • (3) अधिकतर बहुप्रयोगकर्ता प्रणाली द्वारा मैग्नेटिक टेप, आपटिकल डाइय बाह्य संग्रहण उपकरण के रूप में सॉफ्टवेयर अथवा डाटा के वेकअप हेतु प्रयुक्त होता है। जबकि एक प्रयोगकर्ता प्रणाली में फ्लॉपी को सामान्यतः कअप उपकरण के रूप प्रयुक्त किया जाता है। मेनेटिक टेप, आपरिकल ड्राइव को संग्रहण क्षमता बहुत अधिक होती है तथा इनकी चेकअप लेने की स्पीड बहुत तेज होती है। इसलिए बहु उपयोगकर्ता प्रणाली में अधिक संग्रहण क्षमतालीस्क का बैकअप कम समय में सरलतापूर्वक किया जा सकता है।
  • (4) प्रत्येक प्रयोगकर्ता एक की-बार्ड एवं एक वी. डी. यू. के माध्यम से कम्प्यूटर सरबर से संचार स्थापित करता है। इस की बोर्ड तथा बी. डी. यू. को इम्प टर्मिनल कहा जाता है। यह टर्मिनल बुद्धिमान टर्मिनल (इंटेलिजेंट टर्मिनल) भी हो सकता है। पी. सी./ एक्स. टी. ए. टी. बुद्धिमान टर्मिनल के रूप में प्रयोग किए जा सकते हैं।
  • (5) बहुउपयोगकर्ता प्रणाली में एक टर्मिनल को कन्सील कहा जाता है। इस कन्गेल में एक की बोर्ड तथा एक बी. डी. पू. होता है जो कि सरबर से केबल द्वारा सीघा ही जुड़ा होता है।
  • (6) इस प्रणाली में कम्प्यूटर के बूट होने तक समस्त कार्य कन्सोल द्वारा ही नियंत्रित होते हैं। टर्मिनल बूट प्रक्रिया के समाप्त होने पर ही कार्य करते है।
  • (7) को उपयोग सामान्यतः सिस्टम एडमिनिस्टेटर द्वारा किया जाता है। उसके उपयोग से यह सिस्टम के प्रयोगों को सूचनाएं भेजने का कार्य करता है और उनके कार्य जैसे स्टोरेज) माध्यम की चेकिंग या डाटा का चेकअप लेने का कार्य आदि
  • (8) बहुउपयोगकर्ता प्रणाली में एक से अधिक प्रिंटर का उपयोग किया जा सकता है। इस प्रणाली के उपयोग में आने वाले प्रिंटर सामान्य के होते हैं।
  • (9) यह प्रणाली दूरस्य क्षेत्र में स्थित प्रयोगकर्ता के टर्मिनल या दूरस्य स्थित किसी प्रणाली से संचार माध्यम से भी जुड़े हो सकते हैं। बहु-प्रयोगकर्ता का कोई भी टर्मिनल किसी भी दूसरे बहुप्रयोगकर्ता प्रणाली के टर्मिनल के साथ सूचना का आदान-प्रदान कर सकता है।
  • (10) जिस तरह एक पीसी में सीरियत पोर्ट उसी तरह बहुप्रयोगकर्ता प्रणाली में दूसरी प्रणाली से जोड़ने के लिए विशेष कम्यूनिकेशन पोर्ट होते
  • (11) बहुप्रयोगकर्ता प्रणाली जिसमें सामान्यतः एक ही प्रिंटर होता है जो कि सामान्यतः सर्वर से जुड़ा होता है वहां ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती जब एक से अधिक प्रयोगकर्ता एक ही समय में प्रिंट करने हेतु आ दे सकते हैं ऐसी स्थिति में जिन फाइलों को प्रिंट किया जाना है उन्हें एक अस्थायी स्टोरेज में फाइलों के रूप में क्रमबद्ध रख लिया जाता है जहां की सूची के क्रमानुसार एक-एक फाइल की प्रिंट किया जाता है, यह प्रक्रिया स्पेलिंग कहलाती है।

यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में लॉगिन करना

जैसा कि आप अध्ययन कर चुके हैं कि यूनिक्स (Unix) एक बहु-प्रयोगकर्ता बहुकार्य संपादन क्षमता आपरेटिंग सिस्टम (Multiuser. Maltitasking Operat (ing System) है

क्योंकि एक वक्त में बहुत सारे प्रयोगकर्ता यूनिक्स सिस्टम (Unix System) के साथ कार्य कर सकते हैं। यूनिक्स (Unix), लॉगिन नेम (Login name) तथा पासवर्ड द्वारा प्रयोगकर्ताओं को यूनिक्स में कार्य करना अताओ करता है

तथा किसी भी समय यूनिक्स में कार्य करने वाले प्रयोगकर्ताओं की संख्या को निर्धारित करता है यह लॉगिन नेम (Login name) यूनिक्स सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर (Unix System Administrator) द्वारा विभिन्न प्रयोगकर्ताओं को दिए जाते हैं जो कि Login name देने के साथ उन प्रयोगकताओं के विभिन्न अधिकारी की व्याख्या करता है।

जब हम अपने सिस्टम टर्मिनल को ऑन (On) करते हैं तो हमें निम्न निर्देश कोन पर दिखता है-

(1) Login:- इस निर्देश के आगे आपको अपना लॉगिन नेम (Login Name User ID namic) टाइप करके एन्टर दबाना होता है। अब आप एन्टर दवाते है तो निम्न संदेश आपकी स्क्रीन पर दिखेगा।

(2) Password:- अब आपकी स्क्रीन निम्न प्रकार दिखेगी
Login : Sageer Ki Tech
Password : ************

यहाँ Sageer Ki Tech आपके द्वारा टाईप किया गया लॉगिन नेम हैं जो कि आपको आपके सिस्टम एडमिनिस्टेटर द्वारा दिया गया है।

इस समय आपको अपना पासवर्ड टाईप करना पड़ेगा जो कि आपको टाईप करते समय स्क्रीन के ऊपर नही दिखाई देगा।

यह सुविधा यूनिक्स में इसलिए दी गई है कि क्योंकि यूनिक्स एक बहु प्रयोगकत्ता ऑपरेटिंग सिस्टम है, था इस सुविधा के कारण कोई और प्रयोगकर्ता आपका पासवर्ड नहीं जान पाएगा तथा वह आपके नाम से लॉगिन नहीं कर पाएगा।

इससे यह आपके डाटा तथा प्रोग्रामों से तब तक कार्य नहीं कर पाएगा जब तक यह उनका प्रयोग करने के लिए अपने लॉगिन नेम में अधिकृत नहीं है

लॉगिन नेम द्वारा यूनिक्स को पता लगाता है कि आपके अधिकार क्या क्या है तथा आप किन-किन प्रोग्रामों तथा डाटा के साथ काम कर सकते हैं। यह अधिकार आपके सिस्टम एडमिनिस्टेटर द्वारा यूनिक्स में घोषित किए जाते हैं।

आपको अपना लॉगिन नेम तथा पासवर्ड देते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि यूनिक्स बड़े अक्षरों (Upper case) तथा छोटे अक्षरों (Lower case) में भेद करता है।

अतः आपको अपना लॉगिन नेम तथा पासवर्ड बिल्कुल उसी प्रकार टाईप करना चाहिए जैसा कि आपके सिस्टम एडमिनिस्टेटर द्वारा आपको दिया गया है। अगर आपने अपना लॉगिन नेम (Login name) या पासवर्ड (Password) (Wrong) टाईप कर दिया है तो आपको निम्नलिखित सूचनाये दिखेगी –

(1) Login incorrect:- तथा उसके तुरंत बाद लॉगिन संदेश (Login Message) Screen के ऊपर दिखेगा आपको दोबारा लागिन नेम तथा पासवर्ड करना पड़ेगा अगर आपका लॉगिन नेम तथा पासवर्ड बिल्कुल ठीक Type किया है जैसा कि आपके सिस्टम एडमिनिस्टेटर द्वारा दिया गया है तो आपकी स्क्रीन Shell prompt आ जाएगा। अब आपकी स्क्रीन निम्न प्रकार की दिखेगी।

Login : Sageer Ki Tech
Password : *********
Mon, Nov. 03:02:2022
Welcome to Computers
$

अब आप अपना कार्य करना प्रारंभ कर सकते हैं।

Unix Operating System को Login Off करना

क्योंकि यूनिक्स में बहुत सारे प्रयोगकर्ता एक साथ कार्य कर सकते हैं। अतः आपको अपने प्रोग्राम एवं डाटा की सुरक्षा के लिए चाहिए कि जब भी आप अपना कार्य समाप्त करें तो आप अपने क्योंकि यूनिक्स में बहुत सारे प्रयोगकर्ता एक साथ कार्य कर सकते हैं।

अतः आपको अपने प्रोग्राम एवं डाटा की सुरक्षा के लिए चाहिए कि जब भी आप अपना कार्य समाप्त करें तो आप अपने लॉगिन (Login) से लॉगिन ऑफ (Login off) करके बाहर आ जाएं। (Login) से लॉगिन ऑफ (Login off) करके बाहर आ जाएं।

इससे कोई भी अपरिचित व्यक्ति आपके डाटा से छेड़छाड़ नहीं कर सकेगा। साथ ही वह टर्मिनल (Terminal) आप प्रयोग कर रहे है कोई और प्रयोगकर्ता अपने लॉगिन (Login) के लिए प्रयोग कर सकेगा लॉगिन ऑफ (Login off’) करने के लिए आपको अपने शैल प्राम्प्ट पर निम्नलिखित निर्देश टाईप करना होगा

$ logour (Enter)

Logout टाईप करने की जगह आप लॉगिन ऑफ (Login off) करने के लिए Ctrl D भी दबा सकते हैं (Carl Key को दबाते हुए D को दबाएं)। कई यूनिक्स के प्रकार लॉगिन ऑफ (Login off) करने के लिए logout निर्देश की जगह exit निर्देश स्वीकार करते हैं अर्थात् आपको लॉगिन ऑफ करने के लिए शैल प्राम्प्ट निम्न निर्देश देखना होगा

$ exit (enter)

आपकी Screen लॉगिन ऑफ करने के बाद निम्न प्रकार की दिखाई देगी –

Login:-

अब कोई भी प्रयोग करता है अपना लॉगइन नेम तथा पासवर्ड देकर आप द्वारा प्रयोग किए गए टर्मिनल पर अपना कार्य शुरू कर सकता है।

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निष्कर्ष (Conclusion) OF यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?

दोस्तों हमने आपको इस पोस्ट में यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है, हमने आपको ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताओं के बारे में और उसकी संरचना के बारे में विस्तार से बताया है और इसके अलावा हमने आपको बताया है कि यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के कितने प्रकार हैं यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में हम किस प्रकार लॉगिन कर सकते हैं तथा किस प्रकार अपना कार्य समाप्त करने के बाद उसे लॉगइन ऑफ भी कर सकते हैं|

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