यूनिक्स आपरेटिंग सिस्टम क्या है?

यूनिक्स आपरेटिंग सिस्टम के परिवार का एक सदस्य है, जिसकी विकास बेल्ल लेबोरेटोरिज़ से शुरू हुई। कम्प्यूटर की आरंभिक पीढ़ियों में हर कम्प्यूटर के लिए एक विशिष्ट तरह के आपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग होता था। मानकीकरण के अभाव में एक कम्प्यूटर परिवेश में लिखे हुए प्रोग्रामों सॉफ्टवेयर का प्रयोग दूसरे कम्प्यूटर के परिवेश में नहीं हो पाता था।

इसी समस्या के समाधान की परिणति के रूप में मानकीकरण का विकास हुआ और साथ-साथ यूनियस का भी विकास हुआ।

यूनिक्स आपरेटिंग सिस्टम क्या है?

यूनिक्स एक आपरेटिंग सिस्टम है। इसे हम लोग अपने कंप्यूटर में एक ऑपरेटिंग सिस्टम की तरह यूज करते हैं जो हमारे कंप्यूटर को ऑपरेट करता है।

यह क्लोज्ड सोर्स आपरेटिंग सिस्टम  है। और यह सिर्फ पेड वर्शन में ही मार्किट में अवेलेबल है।

यानि अगर आपको ूनिक्स ओस अपने कंप्यूटर में इस्तेमाल करना है। तो आपको इसे मार्केट से या फिर ऑनलाइन खरीदना होगा।

यूनिक्स आपरेटिंग सिस्टम को first 1960s, में“डेनिस रीचिए” द्वारा डेवलप्ड किया गया था।यूनिक्स को मल्टी-यूज़र के लिए, मल्टी-टास्किंग सिस्टम डिज़ाइन किया गया है।

यूनिक्स आपरेटिंग सिस्टम का इतिहास

सन 1969 में कैन थॉमसन और ब्रायन केरनीधन ने इस बात को महसूस किया कि उन्हें अपनी GE 645 मन फ्रेम मशीन जो कि मल्टीकस आपरेटिंग सिस्टम से चलती थी।

पर अपने ‘स्पेस ट्रेवल’ प्रोग्राम पर काम करने में मुश्किल हो रही है। इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने PDP 7 मशीन का प्रयोग शुरू किया

और अपने सॉफ्टवेयर को चलाने (Run) के लिए कुछ यूटिलिटी लिखी। इन सब चीजों के मिलने से एक आपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ,

जिसे PDP 7 असेम्बलर कम्प्यूटर भाषा का प्रयोग करके बनाया गया था। इस आपरेटिंग सिस्टम का और विकास किया गया जिससे यह PDP11/34/40/45/60 पर उपयोग किए जा सकने योग्य हो गया।

सन 1978 में इस प्रोग्राम को असेम्बली भाषा की जगहहाई लेवल लैंग्वेजेज ‘C’ में लिखा गया। इस आपरेटिंग सिस्टम का विकास डेनिस रिची ने किया था। अब यूनिक्स का 95% भाग ‘C’ में लिखा गया था।

जिससे यह कम्प्यूटर परिवार के विभिन्न सदस्यों पर प्रयोग किए जाने के योग्य होगा जैसे पसल कम्प्यूटर से मेन फ्रेम कम्प्यूट तक इस सुविधा से फायदा यह हुआ कि डाटा तथा प्रोशम कम्प्यूटर परिवार के एक सदस्य से दूसरे सदस्य पर आसानी से स्थानांतरित किए जा सके।

जिससे कार्य का दोहरापन खत्म हो गया। अपने में यूनिक्स का अधिकतर प्रयोग विश्वविद्यालया तथा महाविद्यालयों में किया जाता था।

लेकिन सन 1980 के बाद इसका प्रयोग व्यावसायिक उपक्रमों में भी तेजी से बढ़ा यूनिक्स में व्यावसायिक उपक्रमों की आवश्यकता के अनुसार उत्तरोत्तर सुधार किया गया और इसके फलस्वरूप यूनिक्स में उपलब्ध सुविधाओं की संख्या लगातार बढ़ती गई।

यूनिक्स आपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएं

दोस्तों आपको बता दें कि यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम की निम्नलिखित विशेषताएं हैं जो कि कुछ इस प्रकार हैं :-

  • पोर्टेबिलिटी: यूनिक्स कम्प्यूटर परिवार के विभिन्न सदस्यों के लिए उपलब्ध है। अतः प्रयोगकर्ता एक ही तरह के कम्प्यूटर हार्डवेयर का प्रयोग करने के लिए बचे हुए नहीं हैं तथा वह विभिन्न कंपनियों द्वारा बनाए गए हार्डवेयर सिस्टमों को अपनी आवश्यकता के अनुसार खरीद सकते हैं। वह विभिन्न प्रकार के कम्प्यूटर जैसे–पर्सनल कम्प्यूटरों से मेन फ्रेम कम्प्यूटरों तक खरीद सकते हैं तथा उनमें आपस में संबंध स्थापित कर डाटा का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
  • बहुत प्रयोगकर्ता ऑपरेशन: यूनियस के द्वारा एक ही समय में अनेक व्यक्ति विभिन्न प्रकार के कार्य कर सकते हैं। विभिन्न प्रयोगकर्ता एक की-बोर्ड तथा एक पी. डी. यू. जिसे टर्मिनल कहते हैं, जो कि RS232 पोर्ट द्वारा मुख्य कम्प्यूटर जिसे सर्वर कहते हैं; से जुड़े होते हैं। टर्मिनल डम्ब टर्मिनल हो सकते हैं। जिनमें कोई प्रोसेसिंग क्षमता नहीं होती है अर्थात उनमें कोई मेमोरी तथा CPU नहीं होता है तथा वह सर्वर में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हैं। टर्मिनल, इंटेलिजेंट टर्मिनल भी हो सकते हैं अर्थात् उनमें लोकल प्रोसेसिंग के लिए CPU तथा कुछ मेमोरी हो सकती है। लेकिन इंटेलिजेंट टर्मिनल भी अपनी अधिकतर प्रोसेसिंग मुख्य रबर पर ही करते हैं।
  • बैंक ग्राऊंड प्रोसेसिंग: यूनिक्स पर एक ही समय में प्रत्यक्ष तथा बैकग्राउंड प्रोसेसिंगसे कार्य को निष्पादन किया जा सकता है। इस सुविधा के प्रयोग से प्रयोगकर्ता कम-से-कम में अधिक-से-अधिक कार्य कर सकता है जैसे प्रत्यक्ष रूप में डाटा बेस में डाटा को भरा जा सकता है तथा प्रयोगकर्ता अपने इस डाटा एंटी के कार्य को रोके बगैर साथ-साथ कुछ फाइलों को बैकग्राउंड रूप में प्रिंट कर सकता है।
  • हिरार्चिकाल फाईल सिस्टम: यूनिक्स में फाइलों को हिरार्चिकालढंग से रखा जाता है। इस सुविधा के उपयोग से फाइलों को इच्छित रूप से डायरेक्टरियों में एकत्रित किया जा सकता है। पूनिक्स पहला आपरेटिंग सिस्टम या जिसमें फाइलों को डायरेक्टरी के अंदर संग्रहित किया गया। यूनिक्स में एक ही नाम की फाईल दो डायरेक्टरियों के अंदर हो सकती है पर हम यह ध्यान रखना चाहिए कि एक नाम की दो फाईल एक डायरेक्टरों के अंदर नहीं हो सकती
  • यूनिक्स शैल : यूनिक्स शैल को आप अपनी आवश्यकताओं के अनुसार कस्टमाइज करके उसकी क्षमताओं का विकास कर सकते हैं। यूनिक्स में विभिन्न प्रकार के शैल उपलब्ध हैं जिनमें उपलब्ध सुविधाएं भी अलग-अलग है। हम शैल स्क्रिप्ट जो कि यूनिक्स के शैल को कस्टमाइज्ड करने के लिए लिखे जाने वाले प्रोग्राम हैं लिखकर यूनिक्स के निर्देशों की कठिनता को समाप्त कर सकते हैं।
  • टूल की उपलब्धता : यूनिक्स में हजारों की संख्या में टूल्स उपलब्ध हैं। इसके कारण प्रयोगकर्ता अपने इच्छित कार्यों को आसानी से अपनी पसंद के टूल्स का प्रयोग करके कर सकता है।
  • मल्टीटास्किंग की क्षमता: यूनिक्स में मल्टीटास्किंग की क्षमता उपलब्ध है। इस सुविधा के प्रयोग से हम समय में एक पर एक से अधिक लोगिन कर सकते हैं तथा विभिन्न विंडोज में एकाधिक कार्य कर सकते हैं।

यूनिक्स आपरेटिंग सिस्टम की संरचना

यूनिफ्स को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है

  • कर्नेल: यूनिक्स का अंदरूनी भाग करनाल कहलाता है। यहाँ भाग लौ लेवल फंक्शन का निष्पादन करता है। जैसे CPU की शिड्यूलिंग, मेमोरी का विभिन्न प्रयोगकर्ताओं के बीच बंटवारा, यूनिक्स की सुरक्षा योजना का निष्पादन तथा कम्प्यूटर के संग्रह संसाधनों का निर्देशन करना। जैसा कि हमें ज्ञात है कि यूनिक्स सिस्टम एक बहु-प्रयोगकर्ता आपरेटिंग सिस्टम है तथा इसमें मल्टीटास्किंग की क्षमता होती है। इसका तात्पर्य यह है कि अनेक प्रयोगकर्ता एक ही समय में विभिन्न टर्मिनलों को सहायता से सिस्टम पर कार्य कर सकते हैं तथा प्रत्येक प्रयोगकर्ता आवश्यकता पड़ने पर अनेक कार्यों को एक साथ कर सकता है। सामान्यतः कई बार अनेक व्यक्ति अनेक कार्य को कर रहे होते हैं। करनत उन सब कार्यों की सूची रखता है और उस कार्य के पूरा होने पर उस प्रोसेस को अपनी सूची से हटा देता है। करनल कार्य की आवश्यकता के अनुसार संसाधनों का आवंटन विभिन्न कार्यों को करता है तथा किसी कार्य के समाप्त होने के फलस्वरूप उपलब्ध संसाधनों का आवंटन किसी नए कार्यों को या चलते हुए कार्यों को करता है।
  • शेल : यूनिक्स का बाहरी भाग जो कि प्रयोगकर्ता यूनिक्स (यूनिक्स) करनल (कर्नेल)के साथ संवाद करने के लिए उपयोग करता है शैल कहलाता है। दूसरे शब्दों में कमांड अन्तर परेटर के रूप में कार्य करता है। प्रयोगकर्ता जो निर्देश टाईप करता है यह द्वारा करनल को उसके द्वारा समझने योग्य भाषा में करने के लिए दिया जाता है तथा अगर उसका कोई आउट होता है तो यह प्रयोग की आवश्यकतानुसार शैल द्वारा करनाल से लेकर दिखाया जाता है यूनिक्स में विभिन्न प्रकार के शैल जैसे की बॉर्न शैल ,स शैल कॉर्न शैल आदी उपलब्ध है।
  • फाईल सिस्टम : यूनिक्स में फाईल हिरार्चिकाल तरीके से सुरक्षित की जाती है इसका अर्थ है कि सभी फाईल किसी-न-किसी के अंदर सुरक्षित की जाती है। यूनियन में एक फाईल सिस्टम कुछ इस तरह से नजर आता है।

यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार

यूनिक्स की प्रसिद्धि बढ़ने के साथ ही इसके विभिन्न प्रकार बाजार में उपलब्ध हो गए। इन वर्शन को चार मुख्य प्रकारों में बांट सकते हैं।

(1) AT & T Versions

AT&T ने यूनिक्स सिस्टम के कई प्रकारों का विकास किया है। इनमें मे कुछ ती सामान्य यूनिक्स सिस्टम के विकास की प्रक्रिया में सामने आए तथा कुछ का विकास किसी खास Application के लिए प्रयोग करने के लिए किया गया जिसमें उस एपलिकेशन से संबंधित विशेष निर्देश उपलब्ध थे। AT & T के द्वारा विकसित विभिन्न प्रकार (Version) निम्नलिखित हैं-

AT & T Versions

VersionYear releasedComments
Version 61975सिर्फ विश्वविद्यालयों द्वारा प्रयोग की जाती थी।
Version 71978कुछ व्यवसायिक उपक्रमों में इसका प्रयोग शुरू हुआ पर मुख्यतः विश्वविद्यालयों में उपयोग होती रही।
System III1981व्यावसायिक उपक्रमों में प्रयोग के लिए इस प्रकार का विकास हुआ।
System V1983सिस्टम 3 में उपलब्ध सुविधाओं में
Release 1भारी विकास हुआ ताकि यह उपक्रमों में आसानी से उपयोग को जा सके
System V Release 21984सिस्टम 5, रीतिज1 में उपलब्ध सुविधाओं का काफी विकास हुआ।

1989 के बाद AT & T ने सिस्टम 5 में जो भी विकास तथा परिवर्तन किए वह इस बात को ध्यान में रखकर किए कि उनका प्रयोग व्यवसाि उपक्रमों में बढ़े।

(2) BSD यूनिक्स

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय जो किबर्कले में स्थित है, 1970 में यूनिक्स संबंधी विकास का गढ़ बन चुका था और उन्होंने अपना ही एक यूनिक्स का प्रकार का विकास कर लिया था

जिसे बर्कले यूनिक्स कहा गया इसे 4.1 BSD 4.2. BSD वा 43 BSD भी कहा गया। इस प्रकार का प्रयोग ज्यादातर शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा इंजीनियरिंग एप्लीकेशनों के लिए किया गया AT & T सिस्टम V में बर्कले यूनिक्स में उपलब्ध अधिकतर सुविधाओं का समावेश किया गया है।

(3)यूनिक्स डेरिवेटिव्स

AT & T द्वारा दिए गए सोर्स कोर्ड का विकास करके या उसे बदलकर कई कंपनियों ने अपने लिए यूनियस को बनाया जो भी परिवर्तन किए गए वह या तो एक खास कंपनी के हार्डवयर में उपलब्ध सुविधाओं को ध्यान में रखकर किए गए या एक खास प्लेटफार्म के लिए किए गए। जैसे जेनिक्स माइक्रोसॉफ्ट द्वारा यूनिप्लस यूनिसॉफ्ट द्वारा, ओसेक्स पिरामिड द्वारा

(4) यूनिक्स लुक अलिक्स

कुछ कंपनियों द्वारा यूनिक्स आपरेटिंग सिस्टम जैसे सॉफ्टवेयर बिल्कुल शुरू से बनाए गए जैसे-क्रोमिक्स क्रोमेम्को कंपनी द्वारा तथा Unos, Charles river डाटा सिस्टम द्वारा

बहु-उपयोगकर्ता सिस्टम में प्रयुक्त हार्डवेयर

एवं बहु-प्रयोगकर्ता प्रणाली के हायर अवयव एक समान होते हैं पर इन प्रणालियों में निम्नलिखित भिन्नताएं पाई जाती है।

  • (1) बहुप्रयोगकर्ता के कम्प्यूटर का सी. पी. पू. (C.P.U.) अधिक शक्तिशाली होता है तथा इसमें एक साथ कई कार्य एवं प्रोग्रामों के संचालन की सक्षमता होती है।

बहुउपयोगकर्ता प्रणाली को ये दो मुख्य विशेषताएं हैं:

  • बहु कार्य संपादन क्षमता (मल्टीयस्किंग)
  • बहुप्रोग्राम संपादन क्षमता (मल्टी प्रोग्रामिंग)
  • बहुप्रयोगकर्ता प्रणाली के कम्प्यूटर में हार्ड डिस्क की क्षमता अधिक होती है।
  • अधिकतर बहुप्रयोगकर्ता प्रणाली द्वारा मैग्नेटिक टेप, आपटिकल डाइय बाह्य संग्रहण उपकरण के रूप में सॉफ्टवेयर अथवा डाटा के वेकअप हेतु प्रयुक्त होता है। जबकि एक प्रयोगकर्ता प्रणाली में फ्लॉपी को सामान्यतः कअप उपकरण के रूप प्रयुक्त किया जाता है। मेनेटिक टेप, आपरिकल ड्राइव को संग्रहण क्षमता बहुत अधिक होती है तथा इनकी चेकअप लेने की स्पीड बहुत तेज होती है। इसलिए बहु उपयोगकर्ता प्रणाली में अधिक संग्रहण क्षमतालीस्क का बैकअप कम समय में सरलतापूर्वक किया जा सकता है।
  • प्रत्येक प्रयोगकर्ता एक की-बार्ड एवं एक वी. डी. यू. के माध्यम से कम्प्यूटर सरबर से संचार स्थापित करता है। इस की बोर्ड तथा बी. डी. यू. को इम्प टर्मिनल कहा जाता है। यह टर्मिनल बुद्धिमान टर्मिनल (इंटेलिजेंट टर्मिनल) भी हो सकता है। पी. सी./ एक्स. टी. ए. टी. बुद्धिमान टर्मिनल के रूप में प्रयोग किए जा सकते हैं।
  • बहुउपयोगकर्ता प्रणाली में एक टर्मिनल को कन्सील कहा जाता है। इस कन्गेल में एक की बोर्ड तथा एक बी. डी. पू. होता है जो कि सरबर से केबल द्वारा सीघा ही जुड़ा होता है।
  • इस प्रणाली में कम्प्यूटर के बूट होने तक समस्त कार्य कन्सोल द्वारा ही नियंत्रित होते हैं। टर्मिनल बूट प्रक्रिया के समाप्त होने पर ही कार्य करते है।
  • बहुउपयोगकर्ता प्रणाली में एक से अधिक प्रिंटर का उपयोग किया जा सकता है। इस प्रणाली के उपयोग में आने वाले प्रिंटर सामान्य के होते हैं।
  • यह प्रणाली दूरस्य क्षेत्र में स्थित प्रयोगकर्ता के टर्मिनल या दूरस्य स्थित किसी प्रणाली से संचार माध्यम से भी जुड़े हो सकते हैं। बहु-प्रयोगकर्ता का कोई भी टर्मिनल किसी भी दूसरे बहुप्रयोगकर्ता प्रणाली के टर्मिनल के साथ सूचना का आदान-प्रदान कर सकता है।
  • जिस तरह एक पीसी में सीरियत पोर्ट उसी तरह बहुप्रयोगकर्ता प्रणाली में दूसरी प्रणाली से जोड़ने के लिए विशेष कम्यूनिकेशन पोर्ट होते
  • बहुप्रयोगकर्ता प्रणाली जिसमें सामान्यतः एक ही प्रिंटर होता है जो कि सामान्यतः सर्वर से जुड़ा होता है वहां ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती जब एक से अधिक प्रयोगकर्ता एक ही समय में प्रिंट करने हेतु आ दे सकते हैं ऐसी स्थिति में जिन फाइलों को प्रिंट किया जाना है उन्हें एक अस्थायी स्टोरेज में फाइलों के रूप में क्रमबद्ध रख लिया जाता है जहां की सूची के क्रमानुसार एक-एक फाइल की प्रिंट किया जाता है, यह प्रक्रिया स्पेलिंग कहलाती है।

यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में लॉगिन करना

जैसा कि आप अध्ययन कर चुके हैं कि यूनिक्स एक मल्टीयूज़र ,मल्टीटास्किंग संपादन क्षमता आपरेटिंग सिस्टम है

क्योंकि एक वक्त में बहुत सारे प्रयोगकर्ता यूनिक्स सिस्टम के साथ कार्य कर सकते हैं। यूनिक्स, लॉगिन नेम तथा पासवर्ड द्वारा प्रयोगकर्ताओं को यूनिक्स में कार्य करना अताओ करता है

तथा किसी भी समय यूनिक्स में कार्य करने वाले प्रयोगकर्ताओं की संख्या को निर्धारित करता है यह लॉगिन नेम यूनिक्स सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा विभिन्न प्रयोगकर्ताओं को दिए जाते हैं जो कि लॉगिन नाम देने के साथ उन प्रयोगकताओं के विभिन्न अधिकारी की व्याख्या करता है।

जब हम अपने सिस्टम टर्मिनल को ऑन करते हैं तो हमें निम्न निर्देश कोन पर दिखता है-

  • लॉगिन: इस निर्देश के आगे आपको अपना लॉगिन नेम टाइप करके एन्टर दबाना होता है। अब आप एन्टर दवाते है तो निम्न संदेश आपकी स्क्रीन पर दिखेगा।
  • पासवर्ड:-अब आपकी स्क्रीन निम्न प्रकार दिखेगी (Login : Sageer Ki Tech , Password : ************)

यहाँ Sageer Ki Tech आपके द्वारा टाईप किया गया लॉगिन नेम हैं जो कि आपको आपके सिस्टम एडमिनिस्टेटर द्वारा दिया गया है।

(1)लॉगिन इनकरेक्ट:- तथा उसके तुरंत बाद लॉगिन संदेश(लॉगिन मैसेज) स्क्रीन के ऊपर दिखेगा आपको दोबारा लागिन नेम तथा पासवर्ड करना पड़ेगा अगर आपका लॉगिन नेम तथा पासवर्ड बिल्कुल ठीक टाइप किया है जैसा कि आपके सिस्टम एडमिनिस्टेटर द्वारा दिया गया है तो आपकी स्क्रीन शैल प्रांप्ट आ जाएगा। अब आपकी स्क्रीन निम्न प्रकार की दिखेगी।

Login : Sageer Ki Tech
Password : *********
Mon, Nov. 03:02:2022
Welcome to Computers
$

यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम को लॉगिन ऑफ करना

क्योंकि यूनिक्स में बहुत सारे प्रयोगकर्ता एक साथ कार्य कर सकते हैं। अतः आपको अपने प्रोग्राम एवं डाटा की सुरक्षा के लिए चाहिए कि जब भी आप अपना कार्य समाप्त करें तो आप अपने क्योंकि यूनिक्स में बहुत सारे प्रयोगकर्ता एक साथ कार्य कर सकते हैं।

अतः आपको अपने प्रोग्राम एवं डाटा की सुरक्षा के लिए चाहिए कि जब भी आप अपना कार्य समाप्त करें तो आप अपने लॉगिन से लॉगिन ऑफ करके बाहर आ जाएं।

इससे कोई भी अपरिचित व्यक्ति आपके डाटा से छेड़छाड़ नहीं कर सकेगा। साथ ही वह टर्मिनल आप प्रयोग कर रहे है कोई और प्रयोगकर्ता अपने लॉगिन के लिए प्रयोग कर सकेगा लॉगिन ऑफ करने के लिए आपको अपने शैल प्राम्प्ट पर निम्नलिखित निर्देश टाईप करना होगा

$ लॉयर (एंटर)

लॉगआउट टाईप करने की जगह आप लॉगिन ऑफ करने के लिए Ctrl D भी दबा सकते हैं । कई यूनिक्स के प्रकार लॉगिन ऑफ करने के लिए लॉगआउट निर्देश की जगह एग्जिट निर्देश स्वीकार करते हैं अर्थात् आपको लॉगिन ऑफ करने के लिए शैल प्राम्प्ट निम्न निर्देश देखना होगा

$एग्जिट (एंटर)

आपकी स्क्रीन लॉगिन ऑफ करने के बाद निम्न प्रकार की दिखाई देगी –

लॉगिन:-

अब कोई भी प्रयोग करता है अपना लॉगइन नेम तथा पासवर्ड देकर आप द्वारा प्रयोग किए गए टर्मिनल पर अपना कार्य शुरू कर सकता है।

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