ऑपरेटिंग सिस्टम में कर्नेल क्या है?

“Kernel” ऑपरेटिंग सिस्टम का एक मुख्य Component होता है, यह ऑपरेटिंग सिस्टम के कोर का एक कंप्यूटर का प्रोग्राम होता है।

कर्नेल ऑपरेटिंग सिस्टम का एक बहुत ही मुख्य हिस्सा होता है जो मेमोरी में सबसे पहले लोड होता है, कर्नेल ही हमारे सिस्टम सॉफ़्टवेयर को एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर से जोड़ता है।

क्योकी ऑपरेटिंग सिस्टम एक सिस्टम सॉफ्टवेर है जो हमें User Interface प्रदान करता है, और जिससे यूजर, कंप्यूटर से जुड़ता है।

कर्नेल हार्डवेयर रिसोर्सेज जैसे की CPU, मेमोरी, और Hard Disk आदि को मैनेज करता है, और साथ ही यूजर-लेवल Applications सर्विसेज प्रोवाइड करता है।

यह ऑपरेटिंग सिस्टम की सभी सर्विसेज को एक आधार प्रदान करता है। क्योकी कर्नेल के बिना ऑपरेटिंग सिस्टम कोई भी कार्य नही कर सकता है।

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ऑपरेटिंग सिस्टम में कर्नेल से आप क्या समझते हैं?

कर्नेल एक सॉफ्टवेयर कोड होता है, जो ऑपरेटिंग सिस्टम के सेंट्रल कोड मे रहता है इसलिए इसका कंप्यूटरपर पूरा Control होता है। इसे हम लोग ऑपरेटिंग सिस्टम का दिल भी कहते है।

उदाहारण के लिए :- मान लो आपने एक कार ली तो कार का मुख्य हिस्सा उसका इंजन होता है इंजन के बिना कार नही चल सकती और इंजन का ही पूरा कंट्रोल कार पर होता है।

वैसे ही ऑपरेटिंग सिस्टम आपका कार है और कर्नेल आपका इंजन ठीक उसी प्रकार कर्नेल के बिना ऑपरेटिंग सिस्टम बेकार है।

कर्नेल कैसे काम करता है?

जब कभी भी हमारा ऑपरेटिंग सिस्टम, Boot होता है, तो ऑपरेटिंग सिस्टम का पहला प्रोग्राम, Main Memory मे कर्नेल ही लोड कराता है। जब तक हमारा ऑपरेटिंग सिस्टम पूरी तरह से बूट नही हो जाता है, तब तक कर्नेल ही मेमोरी मे रहता है।

कर्नेल, ऑपरेटिंग सिस्टम का कार्य कर्नेल स्पेस मे करता है। कर्नेल, एक्सेक्यूटिंग प्रोग्राम और हैंडलिंग इंटरप्ट को कर्नेल स्पेस मे ही दिखाता है।

जब कभी हमारा कंप्यूटर सिस्टम Crashed होता है, तब वास्तव मे हमारा कंप्यूटर सिस्टम नही बल्की कर्नेल Crashed होता है।

कर्नेल हमे प्रोसेस मैनेजमेंट, मेमोरी मैनेजमेंट और इनपुट\आउटपुट मैनेजमेंट आदि सर्विसेज System Cell के द्वारा प्रदान कराता है।

कर्नल का क्या काम होता है?

  1. प्रोसेस मैनेजमेंट: कर्नेल कॉन्टेक्स्ट स्विचिंग और रिसोर्स एलोकेशन आदि की प्रोसेस को मैनेज करता है।
  2. मेमोरी मैनेजमेंट: कर्नेल मेमोरी के एलोकेशन और डिएलोकेशन को मैनेज करता है।
  3. डिवाइस ड्राइवर्स: कर्नेल यूजर-लेवल ऍप्लिकेशन्स और हार्डवेयर डिवाइस के बीच एक इंटरफ़ेस प्रदान करता है।
  4. फाइल सिस्टम: कर्नेल एक फाइल सिस्टम इंटरफ़ेस प्रदान करता है, जो यूजर-लेवल ऍप्लिकेशन्स को डिस्क पर फाइल्स तक पहुँचने की अनुमति देता है।
  5. नेटवर्किंग: कर्नेल नेटवर्किंग सर्विसेज जैसे ही राउटिंग और पैकेट फॉरवार्डिंग आदि की सर्विसेज भी प्रदान करता है।

कर्नेल कितने प्रकार के होते है?

वैसे तो कर्नेल निम्लिखित 4 प्रकार के होती है, लेकिन मुख्य रूप से 2 प्रकार के ही है, पहला Monolithic कर्नेल (मोनोलिथिक कर्नल) और दूसरा Microkernel (माइक्रोकर्नेल) ।

कर्नेल कितने प्रकार
  1. मोनोलिथिक कर्नल
  2. माइक्रोकर्नेल
  3. हाइब्रिड कर्नेल
  4. नैनोकर्नेल

1). मोनोलिथिक कर्नल

मोनोलिथिक कर्नल सबसे सामान्य प्रकार के कर्नेल होते हैं और यह अकेला सबसे बड़ा Program होता है, जिसमें ऑपरेटिंग सिस्टम की सभी मुख्य कार्यक्षमताएँ शामिल होती हैं। इसीलिये ये बड़े और मोनोलिथिक होते हैं।

मोनोलिथिक कर्नल में ऑपरेटिंग सिस्टम के सभी कोड बाइनरी में होते हैं। मोनोलिथिक कर्नल मे केवल आवश्यक कार्य जैसे की प्रोसेस मैनेजमेंट और मेमोरी मैनेजमेंट ही होती है।

मोनोलिथिक कर्नेल के उदाहरणों :- Linux, FreeBSD और Solaris आदि है।

2). माइक्रोकर्नेल

माइक्रोकर्नेल, मोनोलिथिक कर्नल की तुलना में छोटे और अधिक Modular होते हैं, लेकिन यह केवल आवश्यक सर्विसेज जैसे की मेमोरी मैनेजमेंट प्रोसेस Scheduling, और इंटर – प्रोसेस कम्युनिकेशन आदि को ही प्रदान करता है।

Microkernel, मोनोलिथिक कर्नल की तुलना में अधिक modular और secure होते हैं, लेकिन ये धीमे और कम efficient हो सकते हैं।

माइक्रोकर्नेल के उदाहरण :- Mach, MINIX और QNX आदि है।

3). हाइब्रिड कर्नेल

हाइब्रिड कर्नेल, मोनोलिथिक कर्नेल और माइक्रोकर्नेल से मिल कर बना होता है, इसके अंदर मोनोलिथिक कर्नेल की Efficiency और माइक्रोकर्नेल की मॉडुलरिटी सामिल होती है।

हाइब्रिड कर्नेल के उदाहरण :- Windows NT, ReactOS और macOS आदि है।

4). नैनोकर्नेल

नैनोकर्नेल सबसे छोटा कर्नेल होता है, और यह ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए केवल आवश्यक चीजें प्रदान करता है। नैनोकर्नेल सबसे मॉडुलर और सिक्योर कर्नेल हैं, लेकिन यह बहुत ही slow और inefficient होते है।

नैनोकर्नेल के उदाहरण :- L4, seL4 और Unikernels आदि है।

कर्नेल का महत्व क्या है?

जैसे की हमारे देश की सेना में एक कर्नल होता है और उसके पास सबसे ज्यादा पावर होती है। उसी प्रकार हमारे ऑपरेटिंग सिस्टम में एक कर्नेल होता है, और इसके पास सबसे ज्यादा पावर होती है।

क्योकी यही ऑपरेटिंग सिस्टम के माध्यम से सिस्टम के सभी पार्ट को चलाता है। अगर Kernel नहीं होगा तो आपके सिस्टम का कोई भी पार्ट काम नहीं करेगा और आपका सिस्टम Crash हो जाएगा।

कर्नेल के Features क्या हैं?

कर्नेल के Features क्या हैं
  • Process मैनेजमेंट: कर्नेल सिस्टम मे होने वाली सभी प्रोसेस जैसे की Start, Ending, Massage Sending, Receiving, Exit आदि को मैनेज करता है।
  • मेमोरी मैनेजमेंट: कर्नेल सिस्टम की मेमोरी को मैनेज करता है। इसमें मेमोरी को Allocate करना और Free करना आदि शामिल है।
  • डिवाइस मैनेजमेंट: कर्नेल सिस्टम से जुड़े सभी Device के manage करता है। इसमें डिवाइस ड्राइवर लोड करता है।
  • इंटरप्ट हैंडलिंग: कर्नेल हार्डवेयर उपकरणों से आने वाली कठिनाइयों को संभालता है। फिर कर्नेल हार्डवेयर में रुकावटे लाने वाले स्रोतों को पहचान कर उसको हटाता है और फिर से हार्डवेयर को रीस्टार्ट करता है|
  • इनपुट/आउटपुट कम्युनिकेशन: कर्नेल हमारे सिस्टम के इनपुट/आउटपुट डिवाइस के बीच कम्युनिकेशन करता है और फिर डिवाइस से डाटा एक जगह से दूसरी जगह जाता है।

कर्नेल की Responsibilities क्या होती हैं?

कर्नेल की Responsibilities
  1. सिक्योरिटी: कर्नेल हमारे सिस्टम को सिक्योरिटी प्रदान करता है, जैसे की एक्सेस कण्ट्रोल, ऑथेंटिकेशन, और एन्क्रिप्शन आदि।
  2. नेटवर्किंग: कर्नेल नेटवर्किंग सुविधाएँ जैसे की रूटिंग, एड्रेसिंग और पैकेज हैंडलिंग आदि को प्रदान करता है।
  3. फाइल सिस्टम: कर्नेल फ़ाइल सिस्टम समर्थन प्रदान करता है, जैसे की फ़ाइलों को माउंट करना, अनमाउंट करना और एक्सेस करना आदि।

कर्नेल और ऑपरेटिंग सिस्टम में अंतर

Featureकर्नेल ऑपरेटिंग सिस्टम
परिभाषा“Kernel” ऑपरेटिंग सिस्टम का एक मुख्य Component होता है, यह ऑपरेटिंग सिस्टम के कोर का एक कंप्यूटर का प्रोग्राम होता है।ऑपरेटिंग सिस्टम हमारे सिस्टम का एक सिस्टम सॉफ्टवेयर होता है जो कंप्यूटर और हार्डवेयर के बीच यूजर इंटरफ़ेस प्रदान करता है।
रेस्पॉन्सिबिलिटीप्रोसेस मैनेजमेंट मेमोरी मैनेजमेंट डिवाइस मैनेजमेंट इंटरप्ट हैंडलिंग और इनपुट/आउटपुट कम्युनिकेशन।फाइल मैनेजमेंट सिक्योरिटी नेटवर्किंग और यूजर इंटरफ़ेस प्रदान करता है।
स्थानयह ऑपरेटिंग सिस्टम के कोर में होता है।यह एक सिस्टम सॉफ्टवेयर होता है
आकारछोटाबड़ा
स्पीडतेजधीमा

Kernel Panics क्या है?

Computer के ज्यादा तर functions को कर्नेल ही handle करता है, इसी लिये जब आपका कर्नेल खराब होता है तब आपका पूरा System खराब हो जाता है, macOS और Unix systems में इसी अवांछनीय घटना को एक “kernel panic” कहा जाता है।

किसी भी System कर्नेल पैनिक एक गंभीर Error होता है यह Error ऑपरेटिंग सिस्टम के कर्नेल में होती है। कर्नेल ऑपरेटिंग सिस्टम का मूल भग होता है, यह सिस्टम के हार्डवेयर संसाधनों के manage को करता है। जब कर्नेल पैनिक होता है, तब ऑपरेटिंग सिस्टम चलना बंद हो जाता है, और सिस्टम क्रैश हो जाता है। इस प्रक्रिया को ही Kernel Panics कहा जाता है

कर्नेल पैनिक कितने प्रकार के होते हैं?

कर्नेल पैनिक मुख्यता दो प्रकार के होते हैं:

1). Hard कर्नेल पैनिक: सबसे गंभीर कर्नेल पैनिक होता है यह तब होता जब System को एक येसे Error का सामना करना पड़ता है जिससे System बाहर नही निकल पाता है, इसमे VFS रूट एफएस को माउंट नही कर पाता है जिससे सिस्टम आमतौर पर क्रैश हो जाएगा और चालू नहीं होगा।
2). Soft कर्नेल पैनिक: यह इतना गंभीर कर्नेल पैनिक नही होता है, यह तब होता है जब कर्नेल को किसी त्रुटि का सामना करना पड़ता है और वह उससे आसानी से निकल सके इसमे सिस्टम चलता रह सकता है, लेकिन इसमे System रुक भी सकता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम में कर्नेल क्या है? (FAQs)

कर्नेल क्या होता है?

कर्नेल एक सॉफ्टवेयर कोड होता है, जो ऑपरेटिंग सिस्टम के कंट्रोल कोड मे रहता है। इसका कंप्यूटर सिस्टम पर पूरा कंट्रोल होता है। इसे हम लोग ऑपरेटिंग सिस्टम का दिल भी कहते है।

कर्नेल कितने प्रकार के होते है?

वैसे तो कर्नेल निम्लिखित 4 प्रकार के होती है, लेकिन मुख्य रूप से 2 प्रकार के ही है, पहला मोनोलिथिक कर्नल और दूसरामाइक्रोकर्नेल।
1). मोनोलिथिक कर्नल
2). माइक्रोकर्नेल
3). हाइब्रिड कर्नेल
4). नैनोकर्नेल

लिनक्स कर्नेल है या ऑपरेटिंग सिस्टम?

लिनक्स एक प्रकार का कर्नेल है, कर्नेल ऑपरेटिंग सिस्टम का एक हिस्सा होता है, यह अकेले कोई काम नही करता है यह पूरे ऑपरेटिंग सिस्टम के संदर्भ में ही कार्य करता है।

कर्नेल पैनिक क्या होता है?

कंप्यूटर के ज्यादा तर फंक्शन को कर्नेल ही हैंडल करता है, इसी लिये जब आपका कर्नेल खराब होता है तब आपका पूरा सिस्टम खराब हो जाता है, macOS और Unix systems में इसी अवांछनीय घटना को एक “कर्नेल पैनिक” कहा जाता है।

क्या आप कर्नेल पैनिक को ठीक कर सकते हैं?

कर्नेल पैनिक को ठीक करने का सबसे अच्छा तरीका यह है की आपको सबसे पहले यह पता लगाना चाहिये कि गलती किस उपकरण की है, और फिर एक-एक करके बाह्य उपकरणों को फिर से कनेक्ट करें आपका कर्नेल पैनिक ठीक हो जायेगा।

कर्नेल नही होगा तो क्या होगा?

अगर आपके ऑपरेटिंग सिस्टम में कर्नेल नहीं होगा तो आपके सिस्टम के किसी भी पार्ट पर ऑपरेटिंग सिस्टम का कोई भी कंट्रोल नहीं होगा। तो आपके सिस्टम के सभी ऐप्स और सॉफ्टवेयर अपने आप एक साथ चलने लगे हैं जिससे आपके सिस्टम में काफी ज्यादा Ram की आवश्यकता होगी जिसके कारण आपका सिस्टम खराब हो जाएगा।

एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम में कौन सा कर्नेल होता है

एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम में LINUX कर्नेल होता है|

अगर किसी डिवाइस में कर्नेल नही होगा तो क्या होगा?

अगर किसी डिवाइस में कर्नेल नही होगा तो उसके सभी एप्लीकेशन अपने आप काम करने लगेंगे और जिससे ज्यादा RAM की आवश्यकता होगी जिस कारण उस डिवाइस का ऑपरेटिंग सिस्टम खराब हो जाएगा।

विंडोज में कौन सा कर्नेल इस्तेमाल होता है?

विंडोज में मोनोलिथिक कर्नल का इस्तेमाल किया जाता है?

मैक ओएस में कौन सा कर्नेल इस्तेमाल होता है?

विंडोज में माइक्रोकर्नेल का इस्तेमाल किया जाता है?

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