क्लाइंट सर्वर मॉडल क्या है इन हिंदी?

क्लाइंट सर्वर एक ऐसा मॉडल है जो क्लाइंट्स के द्वारा भेजे गए रिक्वेस्ट और उस रिक्वेस्ट के आधार पर सेवा प्रदान करने वाले सर्वर को मिलाकर बनाया जाता है।

क्लाइंट सर्वर मॉडल एक ऐसा फ्रेमवर्क है जो सर्वर और क्लाइंट के बीच में कार्य करता है। क्लाइंट किसी एक सिस्टम मे और सर्वर इंटरनेट पर रहते हैं। क्लाइंट सर्वर इंटरनेट के माध्यम से आपस में कम्युनिकेशन करते हैं।

क्लाइंट-सर्वर मॉडल एक कंप्यूटिंग मॉडल है जिसमें एक नेटवर्क के माध्यम से कई कंप्यूटर कनेक्ट होते हैं। इस मॉडल में, एक कंप्यूटर, जो कि क्लाइंट कहला जाता है, दूसरे कंप्यूटर से, जो कि सर्वर कहला जाता है।

क्लाइंट-सर्वर मॉडल में, क्लाइंट एक रिक्वेस्ट सर्वर के लिए जनरेट करता है, और सर्वर फिर उस रिक्वेस्ट का रिस्पॉन्स देता है।

क्लाइंट सर्वर मॉडल क्या है?

क्लाइंट यूजर के द्वारा भेजा गया एक रिक्वेस्ट होता है। और सर्वर एक या एक से अधिक बड़े प्रोग्राम होते हैं। जो क्लाइंट्स के साथ संसाधनों का साझा करते हैं और क्लाइंट सर्वर के बीच कम्युनिकेशन का कार्य करते हैं।

क्लाइंट और सर्वर एक ही प्रोटोकॉल का उपयोग करते हैं जिससे कम्युनिकेशन में कोई भी दिक्कत नहीं आती है अधिकतर क्लाइंट सर्वर अपने रिसोर्सेज को साझा करने के लिए TCP/IP प्रोटोकोल का उपयोग करते हैं।

क्योंकि टीसीपी आईपी प्रोटोकोल क्लाइंट के द्वारा भेजे गए पैकेट के रूप में रिक्वेस्ट को एप्लीकेशन डेटा रिक्वेस्ट के माध्यम से सर्वर तक बहुत ही आसान तरीके से पहुंचा देता है।

क्लाइंट सर्वर के रूप में उपयोग होने वाले सबसे ज्यादा ईमेल, वर्ल्ड वाइड वेब इंटरनेट और नेटवर्क प्रिंटिंग आदि शामिल है।

क्लाइंट सर्वर मॉडल की परिभाषा

क्लाइंट सर्वर एक बहुत बड़ा एप्लीकेशन मॉडल है। जो सर्वर और क्लाइंट के बीचकार्य करता है। जो रिक्वेस्ट भेजता है उसे क्लाइंट कहते हैं और जो रिक्वेस्ट से संबंधित रिसोर्स को प्रदान करता है उसे सर्वर कहा जाता है

क्लाइंट सर्वर मॉडल में जब क्लाइंट कंप्यूटर इंटरनेट के माध्यम से रिक्वेस्ट भेजता है तो सर्वर रिक्वेस्टको स्वीकार कर क्लाइंट को उससे संबंधित डाटा पैकेट के रूप में वापस उसके सिस्टम पर भेजता है।

इस मॉडल के मुख्य 2 घटक होते हैं:

  • क्लाइंट: क्लाइंट एक कंप्यूटिंग डिवाइस होता है जैसे कि कंप्यूटर, स्मार्टफोन या टैबलेट, जो सर्वर से डेटा या सेवाओं तक पहुंच बनाने के लिए रिक्वेस्ट जनरेट करता है।
  • सर्वर: सर्वर एक कंप्यूटिंग डिवाइस होता है जिसमें डेटा या सेवाएँ स्टोर होती हैं, जो क्लाइंट के रिक्वेस्ट का एनालिसिस करती हैं और फिर उन्हें रिसोर्स प्रदान कर देता हैं।

क्लाइंट सर्वर मॉडल के प्रकार

क्लाइंट-सर्वर मॉडल मुख्य 4 प्रकार के होते हैं:

  1. वन-टियर मॉडल: यह एक सबसे सरल प्रोग्राम होता है इसमें यूजरअलग-अलग प्रोटोकॉल का उपयोग नहीं करते, इसमें यूजर एक ही कंप्यूटर का उपयोग करते हैं जिससे उन्हें अन्य इंटरनेट की ट्रैफिक से राहत मिलती है।
  2. दो-टियर मॉडल: इसमें क्लाइंट, सर्वर और प्रोटोकॉल तीनों शामिल होते हैं, जो दोनों तरफ से अलग-अलग प्रोटोकॉल से जुड़े होते हैं, इसमें ग्राफिक्स यूजर इंटरफेस क्लाइंट सर्वर पर होता है और डोमेन लॉजिक सर्वर होस्टिंग पर होता है, क्लाइंट सर्वर पर ग्राफिक्स यूजर इंटरफेस को c++ और java जैसी भाषाओं से लिखकर बनाया जाता है।
  3. त्रि-स्तरीय मॉडल: इसमें एक प्रेजेंटेशन लेवल होता है जो ग्राफिक्स यूजर इंटरफेस की तरह ही होता है। इसमें अलग-अलग स्तर के इंटरफेस होते हैं जैसे कि डाटा स्तर इसमें डाटा शामिल होता है।
  4. एन-टियर मॉडल: इसमें एक से अधिक नेटवर्क का उपयोग किया जाता है जो अलग-अलग प्रोटोकॉल के द्वारा अलग-अलग कार्य करते हैं।

क्लाइंट कौन होते हैं?

क्लाइंट वह यूजर होते हैं जो अपने कंप्यूटर सिस्टम के माध्यम से सर्वर तक रिक्वेस्ट को भेजते हैं।

सर्वर क्या होते हैं?

सर्वर वो सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होते हैं जो यूजर के द्वारा भेजे गए रिक्वेस्ट को एनालाइज करके उससे संबंधित रिसोर्स को यूजर सिस्टम पर दिखता है, तथा यूजर्स की रिक्वेस्ट को पूरा करता है, ऐसे सॉफ्टवेयर प्रोग्राम सर्वर कहलाते हैं।

क्लाइंट और सर्वर के बीच अंतर

क्लाइंटसर्वर
जो हमारे सर्वर को एक रिक्वेस्ट भेजते हैं उन्हें क्लाइंट कहा जाता है।यूजर के द्वारा भेजे गए रिक्वेस्ट से सम्बंधित संसाधनों को प्रदान करने वाले सॉफ्टवेयर को सर्वर कहा जाता है।
क्लाइंट निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं:
1. थिक क्लाइंट
2. थिन क्लाइंट
3. हाइब्रिड क्लाइंट
सर्वर निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं:
1. अनुप्रयोग सर्वर
2. कंप्यूटिंग सर्वर
3. डेटाबेस सर्वर
4. वेब सर्वर

क्लाइंट-सर्वर मॉडल कैसे काम करता है?

क्लाइंट सर्वर मॉडल के कार्य करने का तरीका बहुत ही आसान है। क्लाइंट सिस्टम के द्वारा रिक्वेस्ट भेजने का कार्य करता है जबकि नेटवर्क डाटा के लिए एक स्टोरेज सिस्टम के रूप में कार्य करता है।

आप अपने किसी भी सिस्टम को सर्वर बना सकते हैं इसके लिए आपको अपने सिस्टम में एक सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करना पड़ता है लेकिन यह ध्यान रखना होता है कि सिस्टम में मौजूद मेमोरी हाई परफार्मेंस की होनी चाहिए।

क्लाइंट सर्वर मॉडल मेंआप बहुत सारे रिमोट सर्वर को इंस्टॉल कर सकते हैं जिनकी सहायता से आप अलग-अलग कार्य कर सकते हैं। जब क्लाइंट किसी विशेष फाइल या एप्लीकेशन तक पहुंचाने के लिए रिक्वेस्ट भेजता है तब सर्वर डाटा को एनालाइज करता है और फिर उसके बाद वह रिक्वेस्ट के आधार पर रिसोर्स को क्लाइंट के सिस्टम पर दिखता है।

क्लाइंट का कंप्यूटर सिस्टम अपने होस्ट सर्वर के साथ इंटरनेट के माध्यम से कनेक्शन बनता है। क्लाइंट और सर्वर के बीच कम्युनिकेशन TCP/IP प्रोटोकॉल के माध्यम से होता है।

जब क्लाइंट रिक्वेस्ट भेजता है तब सर्वर TCP प्रोटोकोल के माध्यम से क्लाइंट और सर्वर के बीच कनेक्शन बनता है। TCP प्रोटोकोल डाटा को पैकेट के रूप में ट्रांसफर करता है ताकि नेटवर्क आसानी से डाटा प्राप्त कर सके।

IP प्रोटोकोल को किसी भी प्रकार की कलेक्शन की आवश्यकता नहीं होती। इस प्रोटोकॉल में डाटा पैकेट स्वतंत्र रूप से ट्रांसफर होती है।

क्लाइंट-सर्वर मॉडल के लाभ

क्लाइंट सर्वर मॉडल के कई लाभ हैं:

  • एक ही सर्वर पर डाटा को होस्ट करने से डाटा की सुरक्षा बढ़ जाती है।
  • क्लाइंट और सर्वर दूर-दूर होने पर भी डाटा तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
  • क्लाइंट सर्वर में सभी नोट्स अलग-अलग होते हैं केवल सर्वर एक ही नोट पर कार्य करता है जिससे नोट का अपग्रेडेशन करना आसान होता है।
  • कम खर्चे में हम डाटा को आसानी से मैनेज कर सकते।
  • क्लाइंट और सरवर के कार्य करने की क्षमता को बदला जा सकता है।

क्लाइंट-सर्वर मॉडल के नुकसान

  • यदि सर्वर पर वायरस मौजूद है तो वह क्लाइंट के सिस्टम में भी आ सकता है।
  • सर्वर पर DOS अटैक का खतरा ज्यादा बना रहता है।
  • ट्रांसमिशन के समय हैकर के द्वारा डाटा पैकेट को बदला जा सकता है।
  • सर्वर पर फिशिंग के माध्यम से क्लाइंट की जानकारी को एक्सेस करना आम बात है।

निष्कर्ष:

क्लाइंट सर्वर मॉडल में मॉडल क्लाइंट और सर्वर के बीच में कार्य करता है यह यूजर के द्वारा भेजे गए रिक्वेस्ट को सर्वर तक पहुंचता है और फिर सर्वर यूजर्स की रिक्वेस्ट से संबंधित रिसोर्स को यूजर सिस्टम पर दिखता है इसमें अलग-अलग प्रोटोकॉल का उपयोग किया जाता है जिससे यूजर रिक्वेस्ट आसानी से और कम समय में प्राप्त की जा सके।

दोस्तों मैं आशा करता हूं कि आपको हमारी यह पोस्ट जरूर पसंद आई होगी और आपको काफी कुछ सीखने को मिला होगा धन्यवाद

FAQs:

क्लाइंट-सर्वर मॉडल से आप क्या समझते हैं?

क्लाइंट सर्वर मॉडल एक ऐसा कम्युनिकेशन मॉडल है जो कि यह बताता है कि नेटवर्क में मौजूद सभी रिसोर्स कैसे आपस में सूचनाओं का आदान प्रदान करते है। क्लाइंट सर्वर मॉडल में हम किसी भी कंप्यूटर को सर्वर बना सकते हैं बस उसके लिए आपको एक सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना होता है।

क्लाइंट कितने प्रकार के होते हैं?

क्लाइंट निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं:
1. थिक क्लाइंट
2. थिन क्लाइंट
3. हाइब्रिड क्लाइंट

सर्वर कितने प्रकार के होते हैं?

सर्वर निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं:
1. अनुप्रयोग सर्वर
2. कंप्यूटिंग सर्वर
3. डेटाबेस सर्वर
4. वेब सर्वर

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